बिहार की अर्थव्यवस्था भारत से पीछे क्यों है?

भूमिका

बिहार ऐतिहासिक रूप से ज्ञान, संस्कृति और कृषि का केंद्र रहा है। लेकिन, आज यह राज्य आर्थिक रूप से भारत के कई अन्य राज्यों की तुलना में काफी पिछड़ा हुआ है। जहां एक ओर बिहार की विकास दर कई बार राष्ट्रीय औसत से अधिक रही है, वहीं प्रति व्यक्ति आय, औद्योगिक विकास और बुनियादी संरचनाओं की स्थिति बहुत कमजोर है।

मुख्य कारण

1. कृषि पर अत्यधिक निर्भरता

  • बिहार की 74% से अधिक आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। यह कृषि जलवायु और मानसून पर आधारित है, जिससे उत्पादकता और आमदनी अस्थिर रहती है।

  • मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में रोजगार की हिस्सेदारी सिर्फ 6% है, जबकि राष्ट्रीय औसत कई गुना अधिक है।

2. औद्योगिक विकास का अभाव

  • बड़ा कारण, बिहार में बड़ी कंपनियों या उद्योगों की कमी है। राज्य में निवेश नहीं होने के कारण औद्योगिक विकास लगभग रुका हुआ है।

  • झारखंड के विभाजन के बाद, बिहार से लगभग सभी खनिज संसाधन और भारी उद्योग अलग हो गए, जिससे राज्य को और बड़ा झटका लगा।

3. आधारभूत संरचनाओं की कमी

  • सड़क, बिजली, पानी, परिवहन जैसी सुविधाएँ अन्य राज्यों के मुकाबले कम विकसित हैं। इससे कारोबार, निवेश, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में पिछड़ापन आता है।

4. शिक्षा और कौशल विकास में कमी

  • बिहार में शिक्षा व्यवस्था अपेक्षाकृत कमजोर है। कौशल विकास के अभाव में युवा बड़े पैमाने पर अन्य राज्यों में रोज़गार के लिए पलायन करते हैं।

5. प्राकृतिक आपदाएँ

  • हर साल बाढ़ और सूखे से कृषि, सड़कें और अन्य संपत्तियों को बड़ा नुकसान पहुंचता है, जिससे आर्थिक विकास अत्यधिक प्रभावित होता है।

6. तेज जनसंख्या वृद्धि

  • राज्य की जनसंख्या वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इससे बचत, संसाधनों का वितरण और विकास कार्यों पर दबाव पड़ता है।

7. राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार

  • कई दशकों तक बिहार में राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक अक्षमता रही, जिससे विकास संबंधी फैसलों और योजनाओं का क्रियान्वयन कमजोर रहा।

8. जातिवाद और सामाजिक संरचना

  • जातिगत राजनीति और सामाजिक विभाजन के कारण आर्थिक व सामाजिक विकास की योजनाएँ पिछड़ गई।

निष्कर्ष एवं समाधान


  • औद्योगीकरण को बढ़ावा देना
    , आधारभूत संरचनाओं में सुधार, शिक्षा एवं कौशल विकास, कृषि में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग, महिलाओं की भागीदारी तथा प्रशासन में पारदर्शिता लाकर बिहार की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी जा सकती है।

  • राज्य सरकार द्वारा मजबूत नीति, निवेश आकर्षित करने और शहरीकरण को बल देने जैसे कदम जरूरत हैं, जिससे बिहार देश की मुख्यधारा में आ सके।

बिहार में अपार संभावनाएँ हैं, लेकिन इन चुनौतियों को दूर करना राज्य और केंद्र सरकार दोनों की साझा जिम्मेदारी है, ताकि ‘समृद्ध बिहार, समर्थ भारत’ का सपना साकार हो सके।

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