क्या हार, क्या जीत — जब किस्मत ना हो साथ तो कोई भी चीज़ मायने नहीं रखती

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क्या हार, क्या जीत — जब किस्मत ना हो साथ तो कोई भी चीज़ मायने नहीं रखती


क्या हार, क्या जीत — किस्मत का खेल

जब किस्मत साथ न हो,


हर राह लगती सुनसान।

चाह कर भी मंज़िल से,


दूर रह जाते अरमान।

मेहनत की चिंगारी जलती,


पर हवा नहीं मिलती।

लक्ष्य की ऊँची दीवारें,


खड़े-खड़े ही मिलती।

कई बार हाथों की रेखा,


मुँह चिढ़ाती है बार-बार।

तक़दीर के पन्नों पर,


नाम लिखने से करती इनकार।

पर कौन कहता है केवल,


भाग्य ही खेल बनाता?

जो छू ले आसमान को,


वो ज़मीन से हिम्मत जुटाता।

ठोकरें भी सिखाती हैं,


जीवन का असली अर्थ।

किस्मत रूठे तो क्या,


कोशिशों से बदलो पथ।

कभी हार है, कभी जीत है,


कल छाँव है, तो आज धूप।

चलते रहो निरंतर तुम,


बनाओ किस्मत की रूप।

मत कोसो अपने भाग्य को,


न हारो अपने मन की बात।

मिलती है मंज़िल उसे ही,


जो चलता है दिन-रात।



जीवन एक लंबी दौड़ है जिसमें हर इंसान अपने-अपने सपनों, उम्मीदों और लक्ष्यों को लेकर चलता है। कोई चाहता है सफलता, कोई चाहता है पैसा, कोई चाहता है सम्मान। हम मेहनत करते हैं, संघर्ष करते हैं, और पूरी ताकत से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि मेहनत और लगन के बावजूद हमें वह नहीं मिलता जिसकी हम उम्मीद करते हैं। ऐसे समय में हमारे मन में एक सवाल उठता है — क्या हार, क्या जीत, जब किस्मत ही साथ न हो?

कहते हैं कि मेहनत से बड़ा कोई हथियार नहीं, लेकिन सच्चाई यह भी है कि किस्मत का साथ न मिले तो मेहनत का फल अधूरा रह जाता है। आपने शायद देखा होगा, कई लोग थोड़ी-सी कोशिश में ही बड़ी सफलता पा लेते हैं, जबकि अन्य लोग सालों तक मेहनत करने के बाद भी वहीं के वहीं रह जाते हैं। यह अंतर सिर्फ मेहनत का नहीं, बल्कि किस्मत का भी होता है।

किस्मत को हम भाग्य भी कहते हैं — वह अदृश्य शक्ति जो समय और परिस्थिति के साथ हमारे जीवन को दिशा देती है। अगर सही समय पर सही मौका मिल जाए तो इंसान आसमान छू सकता है, लेकिन अगर समय प्रतिकूल हो, तो सबसे बड़ी योग्यता भी अपनी चमक खो देती है। यही कारण है कि कई बार जीवन में जीत और हार का अंतर, केवल मेहनत से नहीं बल्कि किस्मत से भी तय होता है।

हालाँकि, इसका मतलब यह नहीं कि केवल किस्मत पर निर्भर रहा जाए। असली खेल तो यह है कि जब किस्मत साथ न हो, तब भी हिम्मत न हारें। समझना होगा कि जीवन में हर असफलता हमें एक नया सबक सिखाती है। जो इंसान विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी मेहनत, धैर्य और आशा बनाए रखता है, वही अंत में असली जीत हासिल करता है।

इतिहास इस बात का गवाह है कि कई महान लोग जीवन में बार-बार असफल हुए, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय अपनी कोशिश जारी रखी। कभी समय उनके खिलाफ था, तो कभी साधन नहीं थे, लेकिन उन्होंने अपने अवसर खुद बनाए और अंत में किस्मत ने भी उनका साथ दिया।

तो हाँ, यह सच है कि बिना किस्मत के कई बार मेहनत अधूरी रह जाती है। लेकिन सही सोच यह है कि किस्मत भी उसी का साथ देती है जो लगातार प्रयास करता है। सिर्फ किस्मत के भरोसे बैठना या केवल मेहनत कर के समय को कोसना, दोनों ही दृष्टिकोण अधूरे हैं।

अंततः, जिंदगी में हार और जीत स्थायी नहीं हैं। आज आप हारे तो कल जीत भी सकते हैं, और आज जीते तो कल मौका किसी और का हो सकता है। फर्क बस इतना है — किस्मत का दरवाज़ा खटखटाने के लिए आपको मेहनत के पैरों से लगातार चलना पड़ेगा। जब मेहनत और किस्मत का मेल हो जाता है, तभी सच्ची सफलता मिलती है।



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